भारत में सबसे पहला मोबाइल फोन कब आया की पूरी कहानी। भारत में 31 जुलाई 1995 को पहले मोबाइल फोन के द्वारा कॉल किया गया था। पहली बार पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ज्योति बसु के द्वारा उस समय के केंद्रीय संचार मंत्री सुखराम जी ने बात किया था। यह पहली कॉल भारत में कोलकाता से दिल्ली के बीच की गई थी। उस समय नोकिया हैंडसेट का उपयोग किया गया था। जो कि जीएसएम नेटवर्क के द्वारा संभव हो पाया था।
मोदी टेलस्त्रा कंपनी जो उस समय की एक प्रसिद्ध कंपनी थी। उनके द्वारा मोबाइल सेवा का शुरूआत किया गया था। कुछ दिन बाद इसका नाम बदलकर के स्पाइस टेलकम रख दिया गया।
शुरुआत के दिनों जब इस डिवाइस को बनाया गया था। उस समय इसका वजन लगभग 2 किलो के आसपास होता था। लेकिन धीरे-धीरे इसमें बदलाव करते हुए, आज एक स्मॉल फोन तरह इसको बनाया गया है। जो कि आसानी से पॉकेट में रखा जा सकता है।
दुनिया का पहला मोबाइल फोन
दुनिया में मोबाइल फोन का जन्म 3 अप्रैल 1973 को हुआ था। पहली बार इसे उपयोग किया गया था। हर साल 3 अप्रैल को इसका जन्मदिवस के रूप में भी याद किया जाता है। अमेरिका के सबसे जाने माने इंजीनियर मार्टिन कूपर के द्वारा फोन का अविष्कार किया गया था। पहले फोन बनाने वाली कंपनी का नाम मोटरोला था।
वर्ष 1970 जब अमेरिकन इंजीनियर मार्टिन कूपर ने मोटोरोला कंपनी को अपनी सेवाएं देना शुरू किया था। जिसके 3 साल बाद उनके द्वारा दुनिया के लिए एक अत्यंत ही दुर्लभ डिवाइस का अविष्कार किया गया।
उस समय मोबाइल का आकार, रूपरेखा कुछ अलग तरह का होता था। अब तो स्मार्टफोन का युग हम लोग देख रहे हैं। लेकिन पहले के जो भी फोन होते थे। वह एक सिंपल साधारण कीपैड मोबाइल की तरह ही होते थे। जिससे केवल बात किया जा सकता था। उस समय केवल फोन कॉल या मैसेजिंग सेवाएं ही उपलब्ध थी। जो एक सीमित संसाधन उपलब्ध हुआ करते थे।
भारत में पहला मोबाइल फोन की अनसुनी बातें
उस समय जो मोबाइल बनाया गया। उसका वजन लगभग 2 किलो था। जिसमें एक बड़ा बैटरी लगाया जाता था। जिसको उठाने में भी काफी भारी भरकम मेहनत लगाना पड़ता। जब एक बार फोन चार्ज हो जाता।
तब उससे केवल 30 मिनट तक ही बातें हो पाती थी। जिसको फिर से दोबारा चार्ज करने में लगभग 10 घंटे तक का समय लगता। उस मोबाइल फोन का कीमत लगभग 2000 से 3000 अमेरिकी डॉलर के आसपास होता था।
मोबाइल इंडस्ट्री में नई क्रांति की कहानी
वैसे इंडिया में मोबाइल का आगमन तो बहुत पहले हो चुका था। लेकिन इसका एक नई क्रांति 2016 में आया। जब रिलायंस जिओ के द्वारा 4G इंटरनेट का सुविधा लॉन्च किया गया। उसके बाद से भारत स्मार्टफोन के क्षेत्र में एक बहुत ही बड़ा बदलाव हुआ।
जिसके कारण आज गांव-गांव, घर-घर स्मार्टफोन उपयोग किया जा रहा है। इसमें सबसे बड़ा योगदान जिओ इंटरनेट कनेक्टिविटी का रहा है। अब दुनिया में इंडिया एक स्मार्टफोन का बहुत ही बड़ा मार्केट बनकर आगे बढ़ रहा है। इसके बाद डिजिटल क्रांति की एक नई शुरुआत हुई है।
अन्य देशों में मोबाइल की शुरुआत
टेक्नोलॉजी क्षेत्र में पहले से ही अग्रणी भूमिका निभाने वाले जापान, टोक्यो शहर में मोबाइल सिल्वर फोन का शुरुआत एनटीटी नामक कंपनी द्वारा वर्ष 1979 में शुरू की गई।
उसके बाद नार्वे, स्वीडन, फिनलैंड, डेनमार्क तथा कुछ अन्य देशों ने भी इसका शुरूआत किया गया। धीरे-धीरे दुनिया में जितने भी देश है। उन सभी देशों ने भी मोबाइल की सेवाएं शुरू की।
फोन कॉल की कीमत
एक समय था जब फोन कॉल रिसीव करने पर भी पैसे देने पड़ते थे। उसके बाद धीरे-धीरे इनकमिंग कॉल फ्री हो गया। लेकिन पहले 1 मिनट बात करने पर भी ज्यादा पैसे लगाने पड़ते थे। उस समय बातें करना बहुत ही ज्यादा महंगा होता था। लेकिन धीरे-धीरे टेलकॉम कंपनी में बहुत ही ज्यादा परिवर्तन हुआ।
इसके बाद सस्ते दौर पर कॉल करना शुरू हो गया। अब वर्तमान समय तो ऐसे प्लान आ रहे हैं। जिसको एक बार रिचार्ज करना है। उसके बाद अनलिमिटेड कॉल करने की सुविधा दी जाती है। अब तो इंटरनेट के लिए डाटा फैसेलिटीज भी बहुत सस्ती कर दी गई है। जिससे इंटरनेट का उपयोग करना भी काफी आसान हो गया है।
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सारांश
भारत में सबसे पहला मोबाइल फोन कब आया की कहानी की पूरी जानकारी दी गई है। जिससे हमें आशा है कि आपको फोन के इतिहास एवं उसकी अनसुनी कहानी आपको जरूर पसंद आई होगी। फिर भी इससे संबंधित कोई सवाल या सुझाव है तो आप हमसे संपर्क जरूर करें।
मेरा नाम रवि शंकर तिवारी है और मैं एक MBA (IT) Professional हॅू। जो पिछले 5 वर्षो से एक लेखक और डिजिटल मार्केटर के रूप में काम कर रहा हूँ। टेक्निकल बैकग्राउंड होने के कारण टेक्नोलॉजी, कंप्यूटर, ऑनलाइन कमाई, से संबंधित जानकारियों को शेयर करना मेरा पैशन हैं।